Author

श्री धवल पटेल ढोडिया-पटेल जनजाति से आने वाले युवा नेता है। उनका पैतृक गांव चीखली, नवसारी है और वर्तमान मैं सूरत शहर में उनका निवास स्थान है। उन्होंने इंजीनियरिंग का अभ्यास एसवीएनआईटी (SVNIT), सूरत कॉलेज से किया है। पुणे शहर की सिम्बायोसिस इांस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट कॉलेज से उन्होंने MBA की डिग्री प्राप्त की है।उन्हें इन्फॉमेशन टेक्नोलॉजी (IT) और कंसल्टेंसी क्षेत्र में 12 साल का अनुभव प्राप्त है। इस दौरान उन्होंने देश व विदेश मैं भी काम किया है। इसके आलावा वह एक कॉलमीनेस्ट भी है और वह पब्लिक पॉलिसी, अर्थव्यवस्था विषय पर 100 से अधिक आर्टिकल्स लिख चुके है। इसके अलावा धवल टेलीविजन और चर्चा मैं हिस्सा लेते रहते हैं। वर्तमान में धवल पटेल भारतीय जनता पार्टी की इकाई अनुसूचित जनजातीय मोर्चा से जुडे हुए हैं। वह पिछले 15 माह से भाजपा अनुसूचित जनजातीय मोर्चा के राष्ट्रीय सोशल मीडिया प्रभारी के रूप में अपना दायित्व निभा रहे हैं।वह जनजाति समाज की समस्या और उनके मुद्दों को प्रमुखता से उठाते हैं । वह जनजाति समाज की सांस्कृतिक विरासत और उनके इतिहास को जिवंत रखने का और लोगोां को अवगत कराने की दिशा में भी कार्य कर रहे हैं। जनजाति समाज का भारतीय स्वतंत्रता मैं दिए गए योगदान को सबके समक्ष रखने हेतु उन्होंने यह पुस्तक भी लिखी है।

Dhaval Patel

श्री धवल पटेल ढोडिया-पटेल जनजाति से आने वाले युवा नेता है। उनका पैतृक गांव चीखली, नवसारी है और वर्तमान मैं सूरत शहर में उनका निवास स्थान है। उन्होंने इंजीनियरिंग का अभ्यास एसवीएनआईटी (SVNIT), सूरत कॉलेज से किया है। पुणे शहर की सिम्बायोसिस इांस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट कॉलेज से उन्होंने MBA की डिग्री प्राप्त की है।उन्हें इन्फॉमेशन टेक्नोलॉजी (IT) और कंसल्टेंसी क्षेत्र में 12 साल का अनुभव प्राप्त है। इस दौरान उन्होंने देश व विदेश मैं भी काम किया है। इसके आलावा वह एक कॉलमीनेस्ट भी है और वह पब्लिक पॉलिसी, अर्थव्यवस्था विषय पर 100 से अधिक आर्टिकल्स लिख चुके है। इसके अलावा धवल टेलीविजन और चर्चा मैं हिस्सा लेते रहते हैं। वर्तमान में धवल पटेल भारतीय जनता पार्टी की इकाई अनुसूचित जनजातीय मोर्चा से जुडे हुए हैं। वह पिछले 15 माह से भाजपा अनुसूचित जनजातीय मोर्चा के राष्ट्रीय सोशल मीडिया प्रभारी के रूप में अपना दायित्व निभा रहे हैं।वह जनजाति समाज की समस्या और उनके मुद्दों को प्रमुखता से उठाते हैं । वह जनजाति समाज की सांस्कृतिक विरासत और उनके इतिहास को जिवंत रखने का और लोगोां को अवगत कराने की दिशा में भी कार्य कर रहे हैं। जनजाति समाज का भारतीय स्वतंत्रता मैं दिए गए योगदान को सबके समक्ष रखने हेतु उन्होंने यह पुस्तक भी लिखी है।

Author's books

भारत के जनजातीय क्रान्तिवीर

भारतवर्ष को दासता के चंगुल से मुक्त कराने व स्वराज की स्थापना करने के लिए देश के असंख्य वीर सेनानियों व क्रांतिकारियों ने अपना जीवन भारत माता के चरणों में समर्पित किया है। किन्तु दुर्भाग्यवश, उनमें से बहुतसे योद्धा ऐसे हैं, जिन्हें मानक इतिहास पुस्तकों में किसी कारणवश उनका यथोचित नहीं मिल सका। यह बात देश के विभिन्न जनजातीय समुदायों से आने वाले क्रांतिवीरों के योगदान के विषय में और भी सटीकता से लागू होती है।

 

यह पुस्तक ऐसे ह जनजातीय क्रांतिवीरों की अल्पज्ञात अमरगाथाओं का यशोगान कर उन्हें जनसामान्य के समक्ष रखने एक छोटासा प्रयास है। अदम्य साहस, अतुलनीय शौर्य व अटूट स्वाभिमान से भर ये कथाएँ न केवल ज्ञानवर्द्धक हैं, अपितु सभी देशवासियों के लिए महान् प्रेरणास्रोत भी हैं।